Spread the love

कलियुग में बगलामुखी जैसी देवता का तांत्रिक अनुष्ठान करने में कोई सक्षम नहीं है. पहला कारण तो यह है कि कलियुग में अनुष्ठान के अंगों को चार गुना करने का निर्देश है , दूसरा कलियुग में पाप का प्रभाव बहुत अधिक होने से अनुष्ठान करने वाले का चित्त उसी तरह दूषित रहता है जिसतरह कोई शुभ ग्रह किसी पाप ग्रह के संसर्ग से पीड़ित और पापी बन जाता है. बगलामुखी एक वैष्णवी शक्ति है और गायत्री साधकों को ही हस्तगत होती हैं. वही इस अनुष्ठान को कर सकते हैं जिन्होंने गायत्री की बहुत अच्छी साधना की हो. यह सदैव ध्यान रखना चाहिए.

यह जातक एक आरएसएस से जुड़ा हुआ कार्यकर्ता था और लग्न में राहु के होने से बहुत सक्रिय तथा बुद्धि से बहुत तेज था. हमने इसे तीन साल पहले बताया था की शनि महादशा मारक है और शनि-बुध, शनि-केतु, शनि-मंगल, शनि-चन्द्र दशा बहुत खराब हो सकती है. शनि-बुध दशा में यह बहुत बीमार रहा और कमोवेश तीन महीने बिस्तर पर रहा. लेकिन शनि-केतु दशा खराब नहीं गई, शनि-मंगल खराब तो रही लेकिन मारक नहीं रहा लेकिन शनि-चन्द्र-राहु की दशा मार रही जब 2020 में हमारे द्वारा इंकार कर दिए जाने के बाद इसने हरिद्वार से एक स्वामी को बुलाया और अपने घर पर ही बगलामुखी का अनुष्ठान कराया. यह अनुष्ठान उसके विरोधी के मारण के लिए कराया गया था. अनुष्ठान पूर्ण होने के 7 दिन बाद यह किसी पब्लिक समारोह में गिर पड़ा और बीमार हो गया.

यह जब बिस्तर पर बीमार होकर गिरा तो मुझे फोन किया कि गुरु देव कुछ उपाय करें. मुझे लगता है मैं नहीं बचूंगा. हमको यह ज्ञात था कि यह अनुष्ठान ही उसके लिए मारक बन गया है तो हमने कहा इस समय मैं कुछ नहीं कर सकता, मैंने तो तुम्हे मना किया था कि मारण जैसा घोर कर्म मत करो और करवाओ. इस जातक की मृत्यु हस्पताल में हुई और उस समय इसकी पत्नी ने भी इसका साथ छोड़ दिया था.