सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक दिन पहले अयोध्या के भव्य मंदिर में हुए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को भाजपा का रजनीतिक कार्यक्रम बताया. कहा कि जिसकी पूजा हजारों वर्षों से हो रही उसकी प्राण प्रतिष्ठा का क्या औचित्य? इसका मतलब यह है कि भगवान के अस्तित्व को भी नाकार रहे ?
उन्होंने कहा कि बड़ा जश्न अयोध्या में पूरा हुआ. सोमवार को जो प्राण प्रतिष्ठा हुई थी वह भाजपा का कार्यक्रम लग रहा था, क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा में केवल आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद व भाजपा के लोग थे. अगर यह धार्मिक कार्यक्रम होता तो शंकराचार्य लोग उसमें उपस्थित होते.
चारों शंकराचार्य में से एक भी शंकराचार्य उसमें मौजूद नहीं थे. देश की राष्ट्रपति भी आमंत्रित होने के बावजूद प्राण प्रतिष्ठा में नहीं गईं. मंदिर के बहाने भाजपा भ्रष्टाचार बेरोजगारी आदि के मुद्दे से ध्यान भटकाना चाहती है. उन्होंने कहा कि इस देश में धार्मिक भावनाओं का मजाक उड़ाया जाता है।.
शास्त्रों को न मानने वाले राजनीतिक बाबाओं पर चुटकी लेते हुए मौर्या ने कहा – “टीवी डिबेट में एक बाबा कह रहा था भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पत्थर में प्राण प्रतिष्ठा होती है तो अपने परिवार में मरने वालों लोगों की जो लाशें होतीं हैं उसमें भी प्राण प्रतिष्ठा कर दो हमेशा जीवित रहेंगे? यदि प्राण प्रतिष्ठा करने से पत्थर सजीव हो जाता है तो मुर्दा क्यों नहीं चल सकता?”
ये सब ढोंग है पाखंड है, आडंबर है. जो खुद भगवान है, सबका सबका कल्याण करता है हम इंसान की क्या हैसियत की हम उसकी प्राण प्रतिष्ठा करें. उन्होंने कहा कि भाजपा धर्म का नाम लेकर अपनी जबावदेही से बचने के लिए जनता को गुमराह कर रही है.

