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साल 2019 में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले के बाद सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ ज़मीन दी गई थी. इस जमीन पर  वक़्फ़ बोर्ड ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’. ट्रस्ट के अंतर्गत एक भव्य मस्जिद बनाने की तैय्यारी में है. ऐसा कहा जा रहा है कि नई बाबरी मस्जिद का नाम  “मोहम्मद-बिन-अब्दुल्लाह मस्जिद” होगा और यह दुनिया की गिनी चुनी मस्जिदों में एक होगी सम्भवत: सबसे बड़ी मस्जिद. आने वाले रमजान के महीने में होगा मस्जिद का शिलान्यास.

मुस्लिम ट्रस्ट इस ज़मीन पर निर्माण को लेकर व्यापक योजना बना रहा है. इस योजना के अनुसार यहां मस्जिद के अलवा एक फ्री अत्याधुनिक कैंसर अस्पताल, एक सामुदायिक कैन्टीन और 1857 की स्वतंत्रता की पहली लड़ाई की यादों को संजोने के लिए एक म्यूज़ियम बनाया जाएगा.

ज्योतिषमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक साक्षात्कार में कहा है कि आरएसएस-भाजपा ने राजनीतिक लाभ के लिए मस्जिद गिरा दी जबकि कोर्ट में केस चल रहा था और हमारी जीत पक्की थी. यह सिद्ध हो जाने के बाद कि बाबरी मस्जिद के पास राम जन्मभूमि पर राम लला का मन्दिर विराजमान था, सुप्रीम कोर्ट स्वयं उसे गिराने और मन्दिर बनाने का आदेश देता. ऐसे में यह नई बाबरी मस्जिद नहीं बनती क्योंकि कोर्ट पांच एकड़ जमीन नहीं देता. सुप्रीम कोर्ट ने यह जमीन यह कह कर दी कि यदपि की यह स्थान राम जन्म भूमि का स्थान है लेकिन बल पूर्वक ढांचा गिराए जाने के कारण मुस्लिम समाज की भावनाएं आहत हुई हैं इसलिए उसको तुष्ट करने के लिए यह जमीन दान दी जा रही है. इस नई दुनिया की सबसे बड़ी भव्य बाबरी मस्जिद को बनवाने का श्रेय आरएसएस-भाजपा को ही जाता है. आरएसएस-भाजपा का मन्दिर बनाने में यही एकमात्र योगदान है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने द्वारका पीठ और पहले ट्रस्ट की तरफ से उस समय एक भव्य मन्दिर के निर्माण के लिए मन्दिर का डिजाईन प्रस्तुत किया था जिसमे 1008 फिट ऊँचा शिखर था. यह एक अद्वितीय मन्दिर बनाया जाना था लेकिन विश्वहिन्दू परिषद-भाजपा-आरएसएस ने पुन: 2024 में चुनावी लाभ लेने के लिए जल्दबाजी की और मन्दिर को बहुत छोटा बना दिया. चुनावी लाभ लेने की जल्दी इतनी की मन्दिर बना भी नहीं कि उद्घाटन करने का आयोजन कर लिया. भव्य और बड़ा मन्दिर बनने में धैर्य और समय की आवश्यकता होती है. भाजपा ने सिर्फ अपने राजनीतिक लाभ के लिए राम का इतना छोटा मन्दिर बना दिया जिसमे कोई ख़ासियत नहीं है. इस मन्दिर से बड़े भव्य मन्दिर भारत में हैं. इस साईज के देश में अनेक मन्दिर हैं. इसमें भव्यता नहीं हो पाई, इसमें लगे पत्थर भी सामान्य पत्थर ही हैं. बहुत दबाव के बाद इसकी ऊंचाई थोड़ी बढ़ सकी है.