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राम मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का संघी कार्यक्रम जोरो पर है. इस बीच धमाकेदार खबर ये है कि जो रामलला की प्राचीन मूर्ति थी जिसकी 500 साल से पूजा की जा रही थी और “राम लाला विराजमान” नाम से ही सुप्रीम कोर्ट में केस चला था, वही विग्रह स्थापित नहीं किया जा रहा है. एक मुस्लिम द्वारा निर्मित नई मूर्ति का निर्माण कर उसको स्थापित किया जा रहा है. इस सम्बन्ध में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने वाले द्वारका और ज्योतिर्मठ के शंकराचार्यों ने राम मन्दिर ट्रस्ट को पत्र लिख कर सफाई मांगी है.

पत्र में कहा गया है कि नवनिर्मित राम मन्दिर में किसी नवीन मूर्ति की स्थापना की जायेगी ऐसी खबरे आ रही हैं, ऐसे में “रामलला विराजमान” का क्या होगा ?

शंकराचार्य ने कहा है कि रामलाला विराजमान की जगह अन्य मूर्ति की स्थापना धर्म शास्त्र, हिन्दू भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और क़ानूनी तौर पर भी अनुचित है. राममन्दिर पर अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि आरएसएस द्वारा राम मन्दिर ट्रस्ट पर कब्जा कर लेने के बाद से मनमानी की जा रही है और सनातन धर्म का अनुपालन नहीं किया जा रहा है. पत्र में जो कहा गया है उसके अनुसार यदि “रामलला विराजमान ” नहीं हो रहे तो सवाल है कि क्या मुद्दा पुन: कोर्ट में जायेगा ?
इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि द्वारका मठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज (जिनका अब निर्वाण हो चूका है और स्वामी सदानन्द सरस्वती जी विराजमान हैं) और वर्तमान ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राम मन्दिर के लिए कोर्ट सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी है. .