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बीबीसी हिंदी से बातचीत करते हुए इंटरव्यू में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने न सिर्फ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर एकबार फिर अपनी बात को दोहराया और कहा कि मंदिर परमात्मा का शरीर होता है. उसका शिखर, उनकी आंखें होती हैं. उसका कलश, उनका सर और ध्वज पताका उनके बाल होते हैं. इसी चरण में सब चलता है. अभी सिर्फ धड़ बना है और धड़ में आप प्राण प्रतिष्ठा कर देंगे तो यह हीन अंग हो जाएगा.

उन्होंने कहा कि मोदी जी ने कह दिया है कि विकलांग मत कहो, दिव्यांग कहो, तो आज की तारीख में यह दिव्यांग मंदिर है. दिव्यांग मंदिर में सकलांग भगवान को, जिनके सकल(सभी) अंग हैं, उन्हें कैसे प्रतिष्ठित कर सकते हैं?

वह तो पूर्ण पुरुष है, पूर्ण पुरुषोत्तम है, जिसमें किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है. मंदिर के पूरा होने के बाद ही प्राण प्रतिष्ठा शब्द जुड़ सकता है. अभी वहां कोई प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है, अगर हो रही है तो करने वाला तो कुछ भी बलपूर्वक कर लेता है.

इस वीडियो में शकंराचार्य ने बताया कि भाजपा कोर्ट की लड़ाई में पार्टी ही नहीं थी, राम मन्दिर की असली लड़ाई शकंराचार्यों ने ही लड़ी है. यह राममन्दिर उनकी कृपा का प्रसाद है जिसे सत्ता में आने के बाद आरएसएस ने हाईजैक कर लिया –