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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के 6 दिन शेष हैं. बहुत बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही है. चार शंकराचार्यों के विरोध के बाद अब प्राण प्रतिष्ठा नरेंद्र मोदी नहीं करेंगे. खबरों के अनुसार नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मुख्य यजमान नहीं होंगे. प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़, राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बहुत बड़ी जानकारी देते हुए कहा है कि PM मोदी मुख्य यजमान नहीं होंगे.

शास्त्रीय मर्यादा के अनुसार केवल सन्यासी या गृहस्थ ही राम मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा कर सकता है. अब यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि रामलला प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य यजमान गृहस्थ ही हो सकते हैं और इसी वजह से यह फैसला किया गया है. अब नरेंद्र मोदी वहां प्रतीकात्मक यजमान होंगे क्योंकि वह गृहस्थ नहीं है. मोदी गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य अनुष्ठान में शामिल तो होंगे लेकिन मुख्य यजमान नहीं बनेंगे. राम मंदिर शिलान्यास के समय भी यजमान गृहस्थ डॉ. रवींद्र नारायण सिंह और उनकी पत्नी थीं.

श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी मुख्य यजमान हो सकती है. ये दोनों ही संकल्प, प्रायश्चित और गणेश पूजा कर 7 दिवसीय अनुष्ठान की यजमानी करने का काम करेंगे. इसकी अधिकारिक पुष्टि होनी बाकी है.

यह मनमानी करने वाले राजनीतिक हिंदुत्व पर सनातन धर्म और शास्त्र की विजय कही जाएगी. लेकिन अभी यह एक कार्य हुआ, अब भी अधूरे शिखरविहीन मन्दिर में प्राणप्रतिष्ठा सनातन धर्म की शास्त्रीय परम्परा के खिलाफ है जिसके ध्वज वाहक स्वयं श्री राम थे. सनातन धर्म का ध्वज भगवान निर्मित ध्वज है, यह तब तक लहराता रहेगा जब तक हिन्दू शास्त्रों का अनुगमन करते रहेंगे.