 
									जाने क्या है रहस्य !
सनातन हिन्दू धर्म में सभी कर्म और संस्कार का आधार आध्यात्मिक है | ऋषियों ने हिन्दू समाज को वही करने योग्य बातें बताई जिससे उनका कल्याण हो |
 यह श्लोक हर संस्कारित हिन्दू सुबह हाथ देखते हुए कहता है ..
कराग्रे बसते लक्ष्मी कर मध्ये सरस्वती 
कर मूले स्थितो ब्रह्मा (tu govindah ) प्रभाते कर दर्शनम 
हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी बसती हैं , मध्य में सरस्वती और हाथ के मूलअर्थात मणिबन्ध  में गोविन्द का वास माना जाता है |
शास्त्रों के अनुसार, सुबह आँख खुलते ही व्यक्ति को अपने हाथो का दर्शन करके उससे अपने मुख पर फेरना चाहिए | इससे व्यक्ति भाग्यशाली होता है |
मन्त्र साधक यह करने के बाद पृथ्वी का स्पर्श करता है | इसके बाद ही वह नित्य गतिविधियों में लगता है | तथागत बुद्ध की भूमि स्पर्श मुद्रा इसका प्रमाण है | मनुष्य के हाथों में , उसकी अंगुलियों में कई रहस्य है जिनका उद्घाटन ऋषियों ने मुद्राओं द्वारा देवताओं की उपासना में किया| 
लक्ष्मण ने परशुराम से कहा :
ईंहा कुम्हण बतिया कोऊ नाहीं 
जे तर्जनी देखि मरी जाहीं ||
तर्जनी में क्या रहस्य है ? आप तर्जनी ऊँगली ही किसी को चेताने के लिए उठाते हो ! तर्जनी अंगुली को यदि सीताफल ( कुम्हड़ा ) को देखा दो तो क्यों फुल मुर्झा जाता और सुख जाता है , उसमे फल नहीं लगते ?? लाजवंती या छुई मुई को यदि स्पर्श कर लो तो मुर्झा जाती है |  मनुष की देह में एक विद्युत् प्रवाह रहता है इसलिए ऋषियों ने प्रणाम को प्रचलित किया और हाथ मिलाने का निषेध किया | हाथ मिलाने से शक्ति चक्र दूषित होता है | 
हाथ में ही तीर्थो का स्थान तय है |
१-अंगूठे और तर्जनी के बीच पितृ स्थान है (इसी से उन्हें बलि या श्राद्ध पिंड दिया जाता है |
२-तर्जनी और कनिष्ठिका के बीच देव तीर्थ है (देवताओ के सभी कर्म इन उंगलियों से बनी मुद्राओ से करते हैं )
३-कनिष्ठिका के मूल से थोडा नीचे 10 cm में का्य तीर्थ है 
४- अनामिका मध्यमा मूल के नीचे अंति तीर्थ  ( अन्ति  मतलब संध्या इसलिए गायत्री संध्या में इसका महत्व है )
५-मणिबंध के ऊपर अंगुष्ठ के नीचे ब्रह्म तीर्थ है 
इन अलग अलग तीर्थो का उपयोग श्राद्ध , देव तर्पण , ऋषि तर्पण , पितृ तर्पण इत्यादि में  किया जाता है | ऋषियों ने इस विज्ञानं को जाना  की इन हिस्सों में एक उर्जा प्रवाह है जो उनसे जुड़ता है | सनातन वैदिक हिन्दू धर्म में कुछ भी अवैज्ञानिक नहीं है | हम तिलक लगाते हैं तो अंगुष्ठ और अनामिका को युक्त करके माथे पर तिलक देते हैं , इस मुद्रा से ऊर्जा का प्रवाह निकलता है जो आज्ञा चक्र को जागृत करता है | महिलाओ को माथे पर बिंदी लगाने को कहा गया क्योकि उनके भीतर संसारिकता और भौतिकता ज्यादा होती है इसलिए बिंदी लगाने से उनके भीतर आज्ञा चक्र जागृत रहेगा तो ज्यादा भौतिकता की तरफ नहीं जाएँगी | ऐसे ही हिन्दुओं के सभी धार्मिक और सांसारिक कर्म में इनका प्रयोग किया जाता है |


 
					 
					 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			 
																			