मैंने पीछे एक आर्टिकिल लिखा था और बताया था कि सम्प्रदायों में भागवती और रामायणी ही प्रमुख रूप से मनुवाद के सबसे बड़े झंडाबरदार हैं. वह आर्टिकिल यहाँ क्लिक करके पढ़ें. इस संलग्न वीडियो में पाखंडी रामभद्राचार्य खुले रूप से मंच से बहुजन समाज का अपमान कर रहा है. एक दूसरे वीडियो में उसने कहा है कि -“जो राम को नही भजता वो चमार है”! तो दुर्गा के उपासक और शिव के उपासक भी चमार हैं? इसको लेकर ट्विटर पर इसको गिरफ्तार करने का हैश चल गया लेकिन कारवाई नहीं हुई.
आरएसएस-भाजपा मनुवाद के ही प्रवक्ता हैं. नरेंद्र मोदी बनिया हैं इसलिए मनुवाद उनमे गहरे अनुप्रविष्ट है और इसलिए वे मनुवाद और वर्तमान में मनुवाद के सबसे बड़े झंडाबरदार बनियों की ही दस साल से सेवा कर रहे हैं. राजा राम मनुवाद के पहले संस्थापक राजा थे. उन्होंने इसके लिए दलितों का वध किया. उन्होंने बालि का वध कर मनुवाद को बानरों पर भी लागू किया था या कह सकते हैं जंगल में रहने वाली जनजातियों पर लागू किया था. रामायणी अभी मनुष्य नहीं बने हैं, अभी भी इनमें Neanderthal कार्यरत हैं. लेकिन जनजातियों की तरह लाल-पीला लिलार (ललाट) रंग करके खुद को मुक्ति प्रदाता कहते हैं. लिलार पर इसतरह टीका लगाना इन्होने जनजातियों से ही सीखा था.
मनुष्य को मनुष्य नहीं मानना ईश्वर के समक्ष जघन्य अपराध और आध्यात्मिकता के सन्दर्भ में पाप है. इन मनुवादी ग्रन्थों का पब्लिक प्रवचन बैन करना चाहिए. ये धूर्त पब्लिक में निम्न वर्गों को नीचा दिखाते हैं और अपमान करते हैं. समस्त दलित, जनजाति समाज को रामायण इत्यादि सम्प्रदायिक ग्रंथो और इनकी कथाओ का विरोध करना चाहिए. रामायण और भागवत मूलभूत रूप से मनुस्मृति ही है इसलिए मनुस्मृति दहन दिवस में इन दो को भी सम्मिलित करना चाहिए. बहुजन समाज में जन जागरण करे कि कोई भी दलित इन कथा को न सुने. इनका बॉयकाट करना ही समाधान है. यह सदैव ध्यान रहे कि सम्प्रदाय का धार्मिक एक मत अनेकों धार्मिक विचारों में एक विचार मात्र है, यही हिन्दू धर्म नहीं है.

