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शारीरक शास्त्र अति प्राचीन है. इसका वर्णन प्राचीन ग्रन्थों में पर्याप्त मिलता है. वाल्मीकि ने रामायण में शरीर के अंगों के फड़कने का विस्तार से जिक्र किया है. भरत के अंगों के फड़कने का जिक्र है, साथ में सीता के अंगों फड़कने का भी जिक्र है. सुंदरकाण्ड में वर्णन है कि दु:खी होकर सीता आत्महत्या करने की सोचने लगीं और प्रयास भी किया. उस समय उनके तीन तीन बाएं अंग नेत्र, भुजा और जंघा फड़कने लगी. सुंदरकांड के 29 वें अध्याय में इस बात का उल्लेख इस प्रकार किया गया है.
 ‘सा वीतशोका व्यपनीततन्द्रा, शान्तज्वरा हर्षविबुद्घसत्वा।
     अशोभतार्या वदनेन शुक्ले, शीतांशुना रात्रिरिवोदितेन।।
वाल्मिकी रामायण शकुन शास्त्र का पहला ग्रन्थ है जिसमें भांति भांति के शकुन का विस्तृत वर्णन किया गया है. शरीर के विभिन्न अंगों का फड़कना भी भविष्य में होने वाली घटनाओं से हमें अवगत कराता है. सभी अंग राशियों, ग्रहों और नक्षत्रों द्वारा शासित हैं इसलिए उनके उदय और अस्त, उनकी दशाओं में उन अंगों पर प्रभाव रहता है. अंगों के फड़कने से भी दशानुसार शुभ-अशुभ की सूचना मिलती है. अंगों के फड़कने का शुभाशुभ अंगों के अनुसार निम्नलिखित हैं –

सिर के बिभिन्न हिस्सों के फड़कने का शुभाशुभ फल-

मस्तक फड़कने से भूमि आदि भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. ललाट फड़कने से पदोन्नति और स्थानान्तरण होता है. कनपटी फड़के तो इच्छाएं पूर्ण होती है. सिर के बाँयी ओर के हिस्से में फडकन हो तो लाभ मिलता है और यात्रा होती है. सिर के दांयी ओर के हिस्से का फड़कना शुभ फलदायक होता’ है. इसस धन, किसी राज सम्मान, नौकरी में पदोंन्नती, किसी प्रतियोगिता में पुरस्कार, लाटरी में जीत, भूमि लाभ आदि की प्राप्ति हो सकती है. सिर का पिछला हिस्सा फड़के तो विदेश जाने का योग बनता है और धन की प्राप्ति भी होती है. आपका सम्पूर्ण सिर फड़के तो शुभ माना गया है. दूसरे का धन मिल सकता है, मुकद्दमे में जीत हो सकती है, राजसम्मान मिल सकता है और भूमि की भी प्राप्ति हो सकती है.

कंठ आदि के फड़कने का शुभाशुभ फल-

कंठ गला फड़कता है तो स्वादिष्ट और मनपसंद भोजन प्राप्त होने की सम्भावना होती है. स्त्री का कंठ फडकता है तो उसे गले का आभूषण प्राप्त होता है. गले का बांया भाग फड़कता है तो धन की प्राप्ति होती है. स्त्री के कंठ के निचले हिस्से का फडकना कम मूल्य के आभूषणों की प्राप्ति की सूचना मानी जाती है. कंठ का उपरी भाग फडकता है तो सोने हार मिलने की संभावना होती है. कंठ की घाटी के नीचे फडकने से हथियार से घायल होने का संकेत होता है.

मूँछो का फड़कना बहुत ही शुभ माना गया है इससे दूध, दही, घी, धन धान्य का योग बनता है. अगर आपकी मूंछ का दांया हिस्सा फड़के तो शुभ जानो और बाँयी मूंछ फड़के तो किसी से बहस या झगडा हो सकता है.

आपके तालू फड़के तो आर्थिक लाभ का संकेत होता है. दाया तालू में फड़कन बिमारी की सूचना देता है. बाये तालू में फड़कन है तो जेल जाने का संकेत होता है.

आँख के फड़कने का शुभाशुभ फल

दाहिनी आंख व भौंह फड़के तो कोई अभिलाषा पूर्ण होती है. बांई आंख व भौंह फड़के तो शुभ समाचार मिलता है. दायीं आँख ऊपर की ओर के फलक में फड़कता है तो धन कीर्ति आदि की वृद्धि होती है. नीचे का फलक फडकता है तो अशुभ होने का संकेत होता है. बाँयी आँख का ऊपरी फलक फड़के तो दुश्मन से और अधिक दुश्मनी होती है. नीचे का फलक फड़के तो किसी से बेवजह बहस हो सकती है और अपमानित होने का संकेत होता है. बाँयी आँख की नाक की ओर का कोना फड़कने का फल शुभ होता है. पुत्र प्राप्ति की सूचना मिल सकती है या किसी प्रिय व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है.

दांयी आँख फड़कना यह शुभ फलदायक होता है. लेकिन अगर किसी स्त्री की दांयी आँख फडकती है तो उसे अशुभ माना जाता है. दोनों आँखे एक साथ फड़के तो स्त्री या पुरुष के लिए एक ही फल होता है- किसी बिछुडे हुए अच्छे मित्र से मुलाकात हो सकती है.

दांयी आँख पीछे की ओर फड़के तो इसका फल अशुभ समझना चाहिए. बाँयी आँख ऊपर कीओर फड़के तो इसका फल शुभ होता है. स्त्री की बाँयी आँख फडकती हो तो शुभ फल होता है.

दोनों गाल यदि फड़के तो कहीं से ज्यादा धन की प्राप्ति होती है. यदि होंठ फडफ़ड़ाएं तो हितैषी का आगमन होता है. मुंह का फड़कना पुत्र की ओर से शुभ समाचार का सूचक होता है. यदि लगातार दाहिनी पलक फडफ़ड़ाए तो शारीरिक कष्ट होता है.

शरीर के मध्य भागों के फड़कने का शुभाशुभ फल

पीठ फड़के तो विपदा आती है. दाहिनी ओर की बगल फड़के तो नेत्रों का रोग हो जाता है. पसलियां फड़के तो भी विपदा आती है. छाती में फडफ़ड़ाहट मित्र या प्रेमी से मिलने का संकेत होता है. ह्रदय का ऊपरी भाग फड़के तो झगड़ा होता है. नितंबों के फड़कने पर प्रसिद्धि व सुख की प्राप्ति होती है. आपके पेट में फड़कन है तो यह अन्न की समृद्धि की सूचना देता है. यदि पेट का दांया हिस्सा फडक रहा है तो घर में धन दौलत की वृद्धि होगी सुख और खुशहाली में वृद्धि होती है.अगर आपके पेट का बांया हिस्सा फड़के तो धन समृद्धि धीमी गति से बढती है, कुछ इसे अशुभ मानते हैं. पेट का ऊपरी हिस्सा भाग फड़के तो यह अशुभ होता है. लेकिन पेट के नीचे का भाग फड़के तो स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति होती है.

पीठ दांयी ओर से फड़के तो धन धान्य की वृद्धि हो सकती है लेकिन पीठ के बांये भाग का फड़कना अशुभ होता है. मुकद्दमे में हार या किसी से झगडा हो सकता है. पीठ में धीमी फड़कन हो तो परिवार में कन्या का जन्म होता है और तेज हो फड़कन तो अपरिपक्व यानि समय से पहले ही प्रसव होता है. पीठ का ऊपरी हिस्सा फड़के तो धन की प्राप्ति होती है और पीठ का निचला हिस्सा फड़के तो बहुत से मनुष्यों की प्रशंसा मिलती है.

हाथ के हिस्सों के फड़कने का शुभाशुभ फल

दाहिनी ओर का कंधा फड़के तो धन-संपदा की प्राप्ति होती है. बांई ओर का फड़के तो सफलता मिलती है. इसका कुछ अशुभ फल भी होता है जैसे रक्त विकार या वात सम्बन्धी विकार उत्पन्न हो सकते हैं और यदि दोनों कंधे फड़कें तो झगड़े की संभावना रहती है. हथेली में फडफ़ड़ाहट हो तो विपदा में फंसने का संकेत होता है. हाथों की अंगुलियां फड़के तो मित्र से मिलन होता है. दाईं ओर की बाजू फड़के तो धन व यश लाभ तथा बाईं ओर की बाजू फड़के तो खोई वस्तु की प्राप्ति होती है दाईं ओर की कोहनी फड़के तो झगड़ा होता है, बाईं ओर की कोहनी फड़के तो धन की प्राप्ति होती है.

पैर के विभिन्न हिस्सों के फड़कने का शुभाशुभ फल

दाहिनी ओर की जांघ फड़के तो अपमान होता है, बाईं ओर की फड़के तो धन लाभ होता है. आपके दांये घुटने में फड़कन है तो आपको सोने की प्राप्ति होती है और यदि दांये घुटने का निचला हिस्सा फड़के तो शत्रु पर विजय के संकेत होते हैं. बांये घुटने का निचला हिस्सा फड़के तो कार्य पूरा होने की संभावना होती है. बाये घुटने का ऊपरी हिस्सा फड़के तो इसका फल नहीं होता.

गुप्तांग फड़के तो दूर की यात्रा होती है. दाईं ओर का अंडकोष फड़के तो खोई वस्तु की प्राप्ति होती है, बाईं ओर का फड़के तो पुत्र से सुख और विदेश यात्रा का योग बनता है. दाहिनें पैर का तलवा फड़के तो कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, बाईं ओर का फड़के तो निश्चित रूप से यात्रा पर जाना होता है.

अलग-अलग अंग के फड़कने के मोटे मोटे फल इस प्रकार हैं-

• कण्ठ के फड़कने से ऐश्वर्यलाभ होता है.

• ऐसे ही मुख के फड़कने से मित्र लाभ होता है और होठों का फड़कना प्रिय वस्तु की प्राप्ति का संकेत देता है.

• यदि मस्तक फड़के तो भू-लाभ मिलता है.

• ललाट का फड़कना स्नान लाभ दिलाता है.

• यदि कंधे फड़के तो भोग-विलास में वृद्धि होती है.

• हाथों का फड़कना उत्तम कार्य से धन मिलने का सूचक है.

• वक्षःस्थल का फड़कना विजय दिलाने वाला होता है.

• हृदय फड़के तो इष्टसिद्धि दिलाती है.

• नाभि का फड़कना स्त्री को हानि पहुँचाता है.

• उदर का फड़कना कोषवृद्धि होती है.

• गुदा का फड़कना वाहन सुख देता है.

• दोनों भौंहों के मध्य फड़कन सुख देने वाली होती है.

• कपोल फड़के तो शुभ कार्य होते हैं.

• नेत्र का फड़कना धन लाभ दिलाता है।

• नेत्रकोण फड़के तो आर्थिक उन्नति होती है।

• आँखों के पास फड़कन हो तो प्रिय का मिलन होता