कवि साईको शायर अभी मुंडे की यह कविता ” राम समझ आ जाते तो ” काफी फेमस हो गई है. कविता की पंक्तियाँ सोचने पर विवश करती हैं. क्या यही गांधी के राम नहीं थे ? यह वो राम नहीं जो जातिवादी ‘रामचरित मानस’ में प्रकट है या जिसे ब्राह्मणवादी बाबा प्रचारित करते हैं? यह कबीर का राम है, गांधी का राम है, यह सबका राम है जो सबकी आत्मा के रूप में सब में अवस्थित है. यह कविता इस समय प्रासंगिक है जबकि घृणा विद्वेषी हिंदुत्व राम के नाम पर वोट मांगने के लिए एक बार फिर इवेंट कर रहा है और जनता को धर्म के नाम पर ठगने की फ़िराक में है ताकि अडानियों को सब बेच सके ..

