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हिन्दू धर्म में वार, तिथि और पक्ष को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. सभी धर्म-कर्म में इसकी महत्ता का प्रतिपादन किया गया है. अनुष्ठान आदि काम्य प्रयोगों में वारेश अर्थात दिन के देवता, तिथिश अर्थात तिथि के देवता, शुभ लग्न और पक्ष बल को देख कर सब कर्म करने चाहिए.

ज्योतिष में सात ग्रह ही मान्य हैं जिनके वार या दिन होते हैं. वार और उसके देवता इस प्रकार हैं –

रविवार – वारेश सूर्य देव हैं. शिव इस वार के देवता है .
सोमवार – वारेश चन्द्रमा हैं. गौरी या अम्बिका इस वार की देवता हैं
मंगलवार या भौमवार – वारेश मंगल या भौम हैं. स्कन्द इस वार के देवता हैं.
बुधवार – वारेश बुध. ब्रह्म इस वार के देवता हैं.
बृहस्पतिवार या गुरुवार – वारेश बृहस्पति . विष्णु इस वार के देवता हैं.
शुक्रवार या भृगुवार – वारेश शुक्र. उमा इस वार की देवता हैं.
शनिवार – वारेश शनि. कुबेर इस वार के देवता हैं.

वारेश के पूजन के लिए इस प्रकार मन्त्र होंगे -ॐ शिवसहिताय सूर्याय नम:, ॐ गौरीसहितायसोमाय नम:, ॐ स्कन्दसहितायभौमाय नम: इत्यादि

इसी प्रकार तिथिश की भी पूजा करनी चाहिए.

१. प्रतिपदा           अग्निदेव        

२. द्वितीया            ब्रह्मा             

३. तृतीया               गौरी          

४. चतुर्थी                गणेश       

५. पंचमी               नागदेव       

६. षष्ठी                  कार्तिकेय

७. सप्तमी               सूर्यदेव        

८. अष्टमी               शिव             

९. नवमी                 दुर्गा             

१०. दशमी               यमराज

११. एकादशी            विश्वेदेव       

१२. द्वादशी             विष्णु       

१३. त्रयोदशी            कामदेव  

१४. चतुर्दशी             शिव         

१५. पूर्णिमा             चन्द्रमा       

३०. अमावस्या          पितृ  

मुहूर्त अच्छा न मिलने पर वारेश, तिथिश इत्यादि की विधिपूर्वक पूजा सम्पन्न कर. शुभ लग्न में ही पूजन करना चाहिए. वशिष्ठ आदि ऋषियों ने मुहूर्त पर शुभ लग्न की प्रधानता दी है.