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सूर्य का धनु राशि में गोचर कल 16 दिसम्बर को होगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन से खरमास शुरू हो जायेगा. खरमास का महीना अशुभ है क्योकिं जगत के आत्मा कहे जाने वाले विष्णु रूप भगवान सूर्य गधे का रथ लेकर चलने लगते हैं. भगवान जो जगत की आत्मा हैं उनका धीमी रफ्तार में चलना भयकारक है, जो सामान्य नहीं है वही अशुभ है. जब सूर्य देव अपनी सामान्य गति से नहीं चलते तो वह पूरा काल अशुभ माना जाता है और उस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं होता.

प्राचीन काल से यह ज्ञात है कि सूर्य की औसत गति धनु राशि में कम हो जाती है. इस राशि को पार करने में सूर्य थोड़ा ज्यादा समय लगाता है. इसलिए कथा बनाई गई कि सूर्य देव के रथ के घोड़े पिछली राशियों में भ्रमण करते करते थक जाते हैं इसलिए उनको थोड़ा विश्राम देने के लिए इस महीने में सूर्य देव गधे को रथ में जोत कर चलने लगते हैं. लेकिन ऋषियों को सूर्य देव की रफ्तार क्यों कम हो जाती है इसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं ज्ञात नहीं था. सूर्यदेव धनु राशि में क्यों ज्यादा समय लगाते हैं? औसत रफ्तार क्यों कम हो जाती है ? इसका ठोस उत्तर आधुनिक एस्ट्रोनॉमी से हालिया में प्राप्त हुआ है.

वास्तव में वृश्चिक के अंत और धनु राशि के प्रारम्भ के बीच में ही हजारों सूर्यों की आकर्षण शक्ति को लिए हुए एक दानव रहता है. यह दानव मिल्की वे गैलेक्सी के केंद्र में स्थित एक विशालकाय ब्लैकहोल है. इसको Sagittarius A* नाम दिया गया है. यह धनु राशि में ही है लेकिन इसके साथ वृश्चिक राशि की सीमा भी लगी हुई है. जिसे ज्योतिष में मूल नक्षत्र कहते हैं वह इस ब्लैकहोल के प्रमुख अकर्षण जोन में ही स्थित है. इसका आकार और मॉस सूर्य से लाखो गुना ज्यादा बड़ा है. इसमें यदि सूर्य को रख दिया जाय तो यह एक बिंदु से ज्यादा नहीं दिखेगा. यदि सूर्य इसके करीब से गुजर जाए तो सूर्य का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. यह सूर्य को एक झटके में ही लील जायेगा.

यह ब्लैकहोल Sagittarius A* वास्तव में हमारी गैलेक्सी के केंद्र में स्थित है और मूल नक्षत्र के भी करीब होने से हिन्दू धर्म के ऋषि महर्षि इसे मूल कहते थे क्योंकि यह हमारी आकाशगंगा के केंद्र के बहुत करीब है. सूर्य स्वयं शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण शक्ति का केंद्र है इसलिए जब सूर्य इधर से ट्रांजिट करता है तो ब्लैकहोल Sagittarius A* के शक्तिशाली आकर्षण शक्ति के कारण इसकी गति धीमी हो जाती है.

धनु राशि में स्थित यह ब्लैकहोल सूर्य की परिक्रमा पथ के करीब 5.6° दक्षिण में पड़ता है इसलिए इसका जबर्दस्त आकर्षण सूर्य को गहरे प्रभावित करता है. अनेक महत्वपूर्ण नक्षत्र इस परिक्रमा पथ से काफी दूर हैं तब उनका इतना गहरा प्रभाव पड़ता है, तो ये तो महादानव ब्लैकहोल है. कुछ सूर्य से भी बड़े सूर्य इस महादानव की परिक्रमा कर रहे हैं और कालान्तर में उसके द्वारा उनका भक्षण कर लिया जाएगा. यह इस सदी की एस्ट्रोनॉमी में सबसे बड़ी खोज है.

इस महादानव का सबसे करीबी नक्षत्र मूल नक्षत्र है. ऋषियों को यह तो ज्ञात था कि हमारी गैलेक्सी का केंद्र यही पर है. यह हजारों साल पहले बिना किसी टेलिस्कोप के उन्हें पता था कि यह खतरनाक जोन है. यहाँ से गुजरने वाला हरएक ग्रह महादानव की नकारात्मक ऊर्जा से गहरे प्रभावित होता है.