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कार्तिक पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व है विशेषकर वैष्णव धर्म में तो बहुत महत्व है. इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. वैष्णव पुराण में बताया गया है कि इस दिन वैष्णव धर्म में विष्णु के पहले अवतार उत्पन्न किये गये थे. इस दिन स्नान, दान और ध्यान विशेष फलदायी होता है. इस तिथि में ब्राह्मणों को नौग्रहों का दान अवश्य करना चाहिए. इस तिथि के स्वामी स्वयं चन्द्रदेव हैं जो लक्ष्मी के सहोदर माने जाते हैं. इस दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है. यह पूर्ण तिथि है जिस पर त्रिपुरसुन्दरी का आधिपत्य माना गया है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन पीपल की पूजा भी अत्यंत शुभ मानी जाती है क्योंकि यह साक्षात् विष्णु का विग्रह माना जाता है. इस दिन पीपल की पूजा करने से भी मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है. इस दिन पीपल के पेड़ में जल और दूध अर्पित करना चाहिए. आज चन्द्र मंडल में लक्ष्मी को अवश्य अर्घ्य देना चाहिए.

मुहूर्त –

आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष शिव योग के साथ सर्वार्थ योग इत्यादि भी हैं. कार्तिक पूर्णिमा को शिव योग प्रात:काल से लेकर रात 11:39 बजे तक है, उसके बाद से सिद्ध योग रहेगा. कार्तिक पूर्णिमा को दोपहर 01:35 मिनट तक कृत्तिका नक्षत्र है, उसके बाद से रोहिणी नक्षत्र है. इस नक्षत्र में लक्ष्मी पूजन प्रशस्त रहेगा.