शनि का सर्वप्रसिद्ध रत्न नीलम है । उपरत्नों में नीलिमा , जमुनिया, नीला कटहला प्रसिद्ध हैं. शनि का रत्न नीलम कमसे कम सवा पांच रत्ती का धारण करना चाहिए. ये रत्न शनिवार को पुष्य या लग्न के अनुसार शनि के किसी भी नक्षत्र में शाम को दायें बांह में धारण करना चाहिए. रत्न धारण से पूर्ण रत्न का गंगा जल, दुग्ध इत्यादि द्वारा मन्त्रों से अभिषेचन करके , रत्न पर कमसे कम शनि के १००० मन्त्रों का जप करना चाहिए.
शनि की औषधियां –
शनि की प्रमुख औषधि शमी की जड़ है जिसे शनिवार के दिन शनि के किसी भी नक्षत्र में निकालना चाहिए और विधि पूर्वक धारण करना चाहिए . शनिवार को पंचधातु की अंगूठी में नीलम रत्न को सीधे हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करने से शनि बलवान हो जाते हैं, काले घोड़े की नाल या नाव के कांटे से बनी मुंदरी या छल्ला धारण करना भी लाभप्रद होता है. शनि के तीनो नक्षत्रों पुष्य, अनुराधा और उत्तरभाद्रपद में ही शनि की प्रसन्नता के लिए सभी कर्म करना चाहिए .
शनि का दान – शनि के लिए दान शनि के पुष्य, अनुराधा और उत्तरभाद्रपद नक्षत्रों में काले कपड़े, काले चने, जामुन फल, काले उड़द, काली गाय, गोमेद, नीलम, काले जूते, तिल, भैंस, लोहा, तेल, कुल्थी, काले पुष्प, सुवर्ण इत्यादि का संकल्प पूर्वक किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए.
Bath remedy –
बालाञ्जनश्यामतिलै: सलाजै: सरोध्रजीमूतशतप्रसूनै: ।
यमानुजादाप्तमनिष्टमुग्रं विलीयते मज्जनतोऽप्यशेषम्।।
In bad period of Saturn one should bath mixing these herbs in water- seed of bariyara(khareti), black surma, black till, lawa of dhaan, lodh, motha and saunf .

