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हर कोई कुछ न मन्त्र जपता है लेकिन वह विधिपूर्वक मन्त्र नहीं जपता इसलिए मन्त्र का फल उसे प्राप्त नहीं होता. फिर लोग कोई भी मन्त्र किताब में पढकर जपते हैं या टीवी पर देख कर जपते हैं. ये मन्त्र शुभ फल करने के जगह अशुभ देते हैं और जप करने वाले कल्याण नहीं होता. यदि मन्त्र शत्रु है तो जप करने वाले नाश कर देता है, यदि मन्त्र तटस्थ है तो अनंत काल तक जपने से भी कोई फल नहीं होगा. एक ही मन्त्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र किसी के लिए मित्र है तो किसी के लिए शत्रु है. यह निर्णय मन्त्र प्रदान करने वाला गुरु करता है. इसमें ज्योतिष का भी बड़ा महत्व है. यदि आप मन्त्र जपते हैं तो ये सात बातें सदैव याद रखना चाहिए और उसे करना चाहिए. अपने इष्ट का  पूजन के साथ जप करो. जप के बाद इन चीजों को करो –

१- सिर और शिखा का पांचो उंगलियों से स्पर्श करो ( रूद्र और ऋषि प्रसन्न होते हैं)

२- आंख का स्पर्श करो अंगूठे और तर्जनी  से ( सूर्य और अग्निदेव  प्रसन्न होते हैं )

३- नाक का स्पर्श करो अंगूठे और अनामिका से ( वायु देव प्रसन्न होते हैं )

४-कनिष्ठिका और अंगूठे से कान का स्पर्श करो ( दिशायें प्रसन्न होती हैं )

५- मध्यमा और अंगूठे से मुख का स्पर्श करो ( शुक्र और चन्द्र प्रसन्न होते हैं )

६- तर्जनी से हाथो, भुजाओ का स्पर्श करो (यम , कुवर , अष्ट वासु प्रसन्न होते है )

७-नाभि और सिर का स्पर्श सभी उंगलियों से करो (इंद्र प्रसन्न होते है )

उसी जल से  अपने दोनों पैरों पर ॐ विष्णवे नम: मन्त्र से ११ बार जल से सिंचन करो । इससे विष्णु जी प्रसन्न होते हैं।

यह मन्त्र के फल को प्रदान करने में सहयोगी होता है. जप प्रारम्भ करने से पूर्व सूर्य को अर्घ्य अवश्य देना चाहिए.