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राहुल गांधी की केदारनाथ की यात्रा नरेंद्र मोदी की तरह प्रोपगेंडा यात्रा से एकदम अलग रही. जहाँ मोदी कैमरे के साथ प्रोपगेंडा के लिए गये, गुफा में मिथ्याचारी की तरह फोटो खिंचवाते, लाट साहेब की तरह रेड कारपेट पर चलकर मन्दिर दर्शन करने जाते दिखते थे. वहीं राहुल आम भक्त की तरह पैदल नंगे पैर दर्शन करने गये, विधिवत पूजन किया, ब्राह्मणों को दक्षिणा दी और भंडारा किया तथा स्वयं अपने हाथों से लोगों को भोजन खिलाया. उनकी तीन दिन की यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा थी जिसमे उन्होंने संतों के साथ अनुभव लिया, उनसे लम्बी धर्म की बातें की और उनके अनुभवों को आत्मसात किया. उनका आशीर्वाद भी प्राप्त किया. राहुल गाँधी ने यह दिखाया कि जीवन में सब कुछ प्रोपगेंडा नहीं होता, जीवन में बहुत कुछ पवित्र है. जीवन में जो कुछ पवित्र है वह राजनीति का विषय नहीं होना चाहिए. धर्म सबसे पवित्र है लेकिन यह हिंदुत्व के लिए सिर्फ प्रोपगेंडा है, वे इसकी पवित्रता की कद्र नहीं करते.

इस वीडियो में राहुल गांधी और मौनी बाबा के बीच की आध्यात्मिक बातचीत को दिखाया गया है. मौनी बाबा ने 11 सालों तक मौन रहने का प्रण किया है. मौनी बाबा से बातचीत के दौरान उन्होंने पूछा कि भय क्या है. इसपर मौनी बाबा ने कहा “भय मन का वहम है”. राहुल गांधी को लेकर मौनी बाबा ने कुछ रहस्य की बातें भी बताई. राहुल गांधी ने मौनी बाबा के द्वारा बनाया प्रसाद भी पाया.