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आज 12 नवम्बर कार्तिक मास कीअमावस्या तिथि को दीपावली पर्व मनाया जाएगा. इस महापर्व का प्रारंभ धनतेरस के साथ हो गया था. धनतरेस के बाद नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली धूमधाम से मनाया गया. हर दीपावली हमारे लिए बहुत ही खास है लेकिन इस बार और भी ख़ास बन गई है. इस बार दिवाली पर कई शुभ योग का निर्माण हुआ है. लग्न के हिसाब से सबमें अलग अलग योग होंगे और उनका शुभत्व होगा. योगो में चन्द्र मंगल योग, गजकेशरी, गुरु मंगल योग, त्रिलोचन योग, आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग रहेगा. इस तरह से दिवाली शुभ राजयोगों में पड़ रही है जो लक्ष्मी की विशेष उपासना करने वालों के लिए सिद्धिप्रद है.

इस बार चुने हुए शुभ लग्न और मुहूर्त में की गयी पूजा अनुष्ठान विशेष फलदाई होगी. जिन्हें अर्धरात्रि का पूजन नहीं करना है उन सबके लिए काफी प्रशस्त स्थिर वृष लग्न शाम को ही रहेगा. इस लग्न में पूजन करने से लक्ष्मी स्थिर रहती हैं. सायं प्रदोष काल मे वृषभ लग्‍न 6 बजे से 8 बजे तक रहेगा. यह शुक्र का बेहद शुभ लग्न है. सभी के लिए इस लग्‍न में लक्ष्‍मी पूजन करना सबसे बेहतर रहेगा. लक्ष्मी पूजन द्विस्वभाव लग्न मिथुन में भी अति शुभ फलदायी होता है. इस लग्न में कलाकार, एक्टर, नर्तक, लेखक पूजन कर सकते हैं.

लक्ष्मी पूजा के मुहूर्त –

पूजा के शुभ मुहूर्त में प्रातः काल 09:17 से 12:03 तक लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं. इसके इतर दोपहर 01:24 से 02:45 तक और सांय कालीन प्रदोष काल में 6:00 से 8:00 बजे पूजन कर सकते हैं. दीवाली जैसे पर्व में मुहूर्त न भी देखे तो पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में यह कहा गया है कि ऐसे पर्वों का समस्त काल ही शुभ होता है. रात्रि 12:10 से 2.27 बजे रात्रि तक स्थिर सिंह लग्न में पूजन कर सकते है, इस लग्न में जबर्दस्त योग बने हुए हैं. इसमें अतिशुभ गजकेसरी, गुरुमंगल, अमला, त्रिलोचन, राजलक्ष्मी, सरस्वती योग बने हुए हैं. सायं पूजा सम्पन्न कर विशेष पूजा इस लग्न में करना अति उत्तम होगा.

पूजन में लक्ष्‍मी जी की मूर्ति या तस्‍वीर गज या कमल पर आसीन रखना चाहिए. हाथी और कमल पर विराजमान लक्ष्‍मी ही धनधन्य की शुभ लक्ष्‍मी मानी जाती है. उल्लू पर सवार लक्ष्मी को विशेष तांत्रिक पूजन के लिए प्रयुक्त करना चाहिए.