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सूर्य जातक में ग्रहों के राजा सूर्य ने चन्द्रमा को ग्रहों की रानी कहा है। प्रस्तुत किताब का नाम ‘ग्रहों की रानी चन्द्रमा: एक ज्योतिषीय विवेचन ‘ का आधार सूर्य नारायण का वचन ही है। चन्द्रमा का चरित्र स्त्रैण या फेमिनिन है इसलिए ज्योतिष में चन्द्रमा स्त्री ग्रह मान्य है। चन्द्रमा सभी जीवों के मन का कारक है लेकिन यह स्त्रियों का सबसे प्रमुख ग्रह भी है। यह निसर्ग कुंडली में सुख तथा माता का कारक है इसलिए वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। चन्द्रमा ही मनुष्य के सभी सुखों का कारक है। चन्द्रमा के बिना कोई राजयोग घटित नहीं होता, इसे राजयोगों का भोग कराने वाला ग्रह कहा गया है। चन्द्रमा को रानी का पद भला क्यों न दिया जाए ? महर्षि पतंजलि ने सूत्र में लिखा है -हेयं दुःखमनागतम्। संसार में सभी सुख की ही कामना करते हैं और दुःख न हो इसका उपाय करते हैं। चन्द्रमा के अच्छे होने से ही सब सुख मिलता है इसलिए वैदिक आचार्यों ने चन्द्रमा को सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना और दिन प्रतिदिन की मानव गतिविधियों के केंद्र में रखा।

प्रस्तुत किताब ‘ग्रहों की रानी चन्द्रमा:एक ज्योतिषीय विवेचन ‘ में चन्द्रमा के ज्योतिषीय पहलूओं के साथ चन्द्रमा के धार्मिक और आध्यात्मिक स्वरूप पर भी जगह जगह प्रकाश डाला गया है। इस किताब में चन्द्रमा द्वारा बनने वाले सभी योगों, चन्द्रमा का द्वादश राशियों, द्वादश भावों और सभी सत्ताईस नक्षत्रों में फल का विस्तृत वर्णन किया गया है। आमजन के लिए किताब में चन्द्रमा के यंत्र, मन्त्र, रत्न और औषधियों की जानकारी के साथ चन्द्रमा के दान, चन्द्रमा के प्रमुख स्तोत्र और ज्योतिषीय उपाय भी बताये गये हैं। आशा है यह किताब भी सबके लिए उपयोगी और लाभकर होगी।