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शास्त्रों में ग्रहों के अनिष्टकारी दशा अन्तर्दशा में अनेक उपाय बताये गये हैं. ऐसी अशुभ दशा में हर उपाय करना ही चाहिए. स्कन्द पुराण में कहा गया है कि देवता भी ग्रहों के उपाय करते हैं क्योंकि ग्रह दोष से कोई भी नहीं बच सकता है-
देवदानवगन्धर्व यक्षराक्षसकिन्नरा: ।
पीडयन्ते ग्रहपीड़ाभि: किं पुनर्भुवि मानवा:।।

सूर्यादि ग्रहों के अनिष्टफल को शमन करने के लिए औषधियों का उपयोग करना चाहिए. औषधियों के क्वाथ बनाकर जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए. इससे उस ग्रह का औरा ठीक होने लगता है. नौ ग्रहों के स्नान इसप्रकार हैं –

1- सूर्य अनिष्ट शांति के लिए स्नान –

सूर्य की अनिष्ट शान्ति के लिए केशर, जेठीमधु, कमलगट्टा, इलायची, मन:शील, खस, देवदारु और पटाला को पीस कर इसका क्वाथ बना लेना चाहिए. उससे स्नान करना चाहिए.

2- चन्द्रमा की अनिष्ट दशा में स्नान –

चन्द्रमा अनिष्ट महादशा या अशुभ प्रभाव में शान्ति के लिए पंचगव्य, स्फटिक, गजमद, मुक्त, कमल और शंख से स्नान करने से दोष की निवृत्ति होती है.

3-अनिष्ट मंगल की शांति में स्नान –

मंगल की अनिष्टकारी दशा अंतरदशा में चन्दन, बिल्व, बैगनमूल, प्रियंगु , बरियारा के बीज, जटामासी, लाल पुष्प, सुगंध बाला, नागकेशर और जवाकुसुम से स्नान करना चाहिए.

4-अनिष्ट बुध की शांति में स्नान –

बुध की अनिष्टकारी दशा या अन्तर्दशा में नागकेशर, पोहकर मूल, अक्षत, मुक्ताफल, गोरोचन, मधु, मैनफल, और पंचगव्य से स्नान करना चाहिए.

5-अनिष्ट गुरु बृहस्पति की शांति में स्नान –

अनिष्टकारी बृहस्पति की दशा में पीली सरसों, जेठीमधु, सुगंधबाला, मालती पुष्प, जूही के फूल और पत्ते से स्नान करना चाहिए. स्नान करते समय पुरुष सूक्त का पाठ करना चाहिए.

6-अनिष्ट भार्गव शुक्र की शांति में स्नान –

अनिष्टकारी शुक्र की महादशा में शांति के लिए श्वेत कमल, मन:शील, सुगंधबाला, इलायची, पोहकरमूल, और केशर से स्नान करना चाहिए.

7-अनिष्ट शनि की शांति में स्नान –

शनि की महादशा सबसे अनिष्टकारी होती है. शनि की शांति के लिए बरियारा के बीज, काला सूरमा, काले तिल, धान का लावा, लोध, मोथा और सौंफ का क्वाथ बनाकर उससे स्नान करना चाहिए.

8-अनिष्ट राहु की शांति में स्नान –

अनिष्टकारी राहु की महादशा या अन्तर्दशा में शांति के लिए कस्तुरी, मोथा, बिल्वपत्र, लाल चन्दन, गजमद, सुगंधबाला और दुर्वा का क्वाथ बनाकर उससे स्नान करना चाहिए.

9-अनिष्ट केतु की शांति में स्नान –

अनिष्टकारी केतु की महादशा में रक्त चन्दन, रतनजोत, मोथा, कस्तुरी, गजमद, सुगंधबाला, लोध, भेड़ का मूत्र, दाडिम और गुडूची के क्वाथ से स्नान करना चाहिए.

क्वाथ औषधियों को उबालकर निकाला गया रस को कहा जाता है. क्वाथ बनाने में औषधियों का समान परिमाण होना चाहिए, उसे एक घंटे उबालें और ठंडा होने के बाद उसे स्नान के जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए.