आपका भाग्य बिंदु या फॉर्चून बिंदु एक महत्वपूर्ण बिंदु है. राशिचक्र में स्थित यह अलग अलग फॉरचून बिंदु (Part of Fortune ) आपको बता सकते हैं कि आपका उन विषयों के सम्बन्ध में कितना भाग्य होगा या कितना भाग्यशाली रहेंगे. यहाँ तक कि क्वांरी कन्या प्राप्त होगी या नहीं (fortune of the virgin)? यह एक आदर्श बिंदु है. यह भारतीय ज्योतिष का हिस्सा नहीं है, इसकी ओरोजिन रोमन-पर्सियन है. इसको अध्यात्मिक दृष्टि से बनाया गया था. भाग्य सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए फॉर्चूना रोमन सम्राज्य के समय बहुत महत्वपूर्ण था. वे भाग्य की देवी की पूजा करते थे क्योंकि सबमें भाग्य ही सबसे बली होता है .
महाभारत में कुंती कृष्ण से कहती है कि हे कृष्ण देखो हमारा भाग्य कैसा हैं? मेरे पुत्र महापराक्रमी और विद्वान् है, किन्तु फिर भी हम अपना जीवन वनों में भटकते हुए कष्ट में व्यतीत कर रहे हैं. किसी भी कंगाल व्यक्ति को कब भाग्य कहाँ ले जा सकता है, नहीं पता . राशि चक्र में ये भाग्य बिंदु संवेदनशील बिंदु माने जाते हैं, जो 12 भावों से सम्बन्धित मामलो से सम्बंधित हैं. जैसे राज्य फॉरचूना पॉइंट(राज्य से सम्बन्धित भाग्य) यानि राशिचक्र का वह विशिष्ट बिन्दु जिसका राज्य मिलने से सम्बन्ध है. यह भाग्य बिंदु हर चीज के बनाये गये हैं अर्थात बारह भावों के जो जो विषय हैं उनके भाग्य बिंदु हैं जैसे स्त्री से सम्बन्धित फॉरचूना, शादी का फॉरचूना , धन का फॉरचूना इत्यादि. ये फोर्चून बिंदु मुख्य रूप से सूर्य – चन्द्र और लग्न आधारित है. लग्न सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति की चेतना-आत्मा का संसार में अवतरण है, अविद्या के साये में इसकी प्रथम जागृति है. जब हम कहते हैं लग्न, रईजिंग असेन्डेन्ट या राईजिंग साईन तब इसका मतलब कुछ ऐसा ही है. संसार में जीवात्मा के अवतरण का यह सबसे महत्वपूर्ण मर्म बिंदु है. आधुनिक भारतीय में सहम अरबियन ज्योतिष की नकल है, इसे अरेबिक पार्टस या लाटस AREBIC PARTS or LOTS कहते हैं. इनकी उत्पत्ति अस्पष्ट है. किन्तु ये अरेबिक पार्टस पहली शताब्दी तक हेलिनिस्टिक पद्धति के प्रमुख सिद्धांत बन गए थे. हेलेनिक ज्योतिष BC 2000 पुरानी दुनिया के सबसे प्राचीन ज्योतिष में से एक है बल्कि कई मामलों में बहुत से विद्वान् इसे सबसे प्राचीन मानते हैं.

रोमन साम्राज्य के पतन के बाद इनका विकास अरब में हुआ इसलिये इन्हे अरेबिक पार्टस या लाटस कहा जाने लगा. भाग्य की देवी फार्च्यून एक रोमन देवी थीं जिनके पिता बृहस्पति थे. रोमन साम्राज्य में इस देवी को भाग्य की देवी के रूप में पूजा जाता था. इनके नाम पर एक उत्सव होता था जिसे Fors Fortuna कहते थे. इसी Fors Fortuna का ही अपभ्रंश है- पार्ट्स फॉरचूना. फॉरचूना ज्योतिष का विकास बाद में अरब में हुआ और एक दिग्गज पर्सियन मुस्लिम ज्योतिषी “अबुमज़र Abu Ma’shar.” ने लगभग 55 लाटस (प्रारब्ध, तकदीर) या सहम का वर्णन किया है. Abu Ma’shar बड़े दिग्गज ज्योतिषी थे, ऐसा कहा जाता है कि इन्होने भारत की भी यात्रा की थी और ज्योतिष अध्ययन के लिए बनारस में कुछ वर्ष बिताये थे. अलबरूनी ने 8वीं 9वीं शताब्दी में इसके खूब प्रचलन में होने का जिक्र किया है. अरेबिक पार्ट्स का प्रचलन चौथी शताब्दी में भी बहुत था, इस समय के एक ज्योतिषी पालुलूस एलेक्जेंड्रिनस ने अपनी किताब में अरेबिक पार्ट्स का जिक्र किया है.

सत्रहवीं शताब्दी में ब्रिटिश ज्योतिषी विलियम लिली ने इसको पाश्चात्य ज्योतिष का हिस्सा बना दिया. पश्चिमी ज्योतिष में ज्यादातर फ़ोर्चूना को प्रश्न चार्ट में प्रयोग करते हैं. भारत में भृगु बिंदु, श्री लग्न इत्यादि भी इसी तरह के स्पेशल बिंदु हैं. उत्तर भारत में सहम का प्रचलन नहीं है, दक्षिण भारत के ज्योतिष में ही सहम विशेषरूप से प्रचलित रहा है. यहाँ के ज्योतिषियों के सम्बन्ध रोमन या अरबी ज्योतिषियों से हुए होंगे. दक्षिण भारत के विशाखपटनम, कोच्ची इत्यदि बन्दरगाह व्यापार का प्रमुख केंद्र थे. सहम और फॉरचूना का उपयोग वर्षफल ज्योतिष (ताजिक ज्योतिष भी पश्चिमी ज्योतिष पर आधारित है) तथा प्रश्न ज्योतिष में बहुधा किया जाता है. इसे प्रश्न कुंडली पर भी बखूबी लागू किया जा सकता है .
फॉरचून पार्ट को ही भाग्य बिंदु भी कहते हैं . पाश्चात्य ज्योतिष में भाग्य सहम को पार्स फार्च्यून PARS FORTUNE or PART OF FORTUNE or Fortuna कहते हैं. अरब ज्योतिष मे इसे अरेबिक पार्ट्स ARABIC PARTS or LOTS (प्रारब्ध या तक़दीर) कहते हैं. पार्स फार्च्यून आकाशीय सवेदनशील गणितीय महत्वपूर्ण बिन्दु हैं जो शुभ फल प्रदाता माने जाते हैं. ये बिंदु राशि के बहुत सूक्ष्म अंश हैं इसलिए तेजी से परिवर्तित होते रहते हैं. ज्योतिष में इसकी तीव्र गति के कारण ही इनका बहुत महत्व है और जन्म पत्रिका बनाते समय ही इसकी भृगु बिंदु इत्यादि के साथ इनकी भी स्थापना कर देते है. इसका चिन्ह वृत्त के मध्य गुणित x का निशान है. भारत के शहरी ज्योतिषी भी पाश्चात्यों की खूब नकल करने लगे हैं.
ऐसे क्षण क्षण बदलता है भाग्य
पार्स फॉर्चून की गति लग्न की गति के हिसाब से ही चार मिनट प्रति अंश है. यह लग्न, सूर्य, चंद्र से स्पष्ट किया जाता है. क्योकि इन तीनों की गति तीव्र होने से थोड़े अंतर के जन्म में भी इसकी स्थिति मे अंतर आ जाता है. इससे एक ही अक्षांश देशांश पर कुछ ही मिनट के अंतर पर उत्पन्न जातक के गुणधर्म, स्वभाव, भाग्य आदि के अंतर को आसानी से निरूपित किया जा सकता है. पार्स फॉरचून शुक्ल प्रतिपदा को प्रथम भाव मे, तृतीया को द्वितीय भाव मे, शुक्ल पंचमी को तृतीय भाव मे, शुक्ल सप्तमी को चतुर्थ भाव मे और पूर्णिमा को सप्तम भाब मे रहती है. शुक्ल पक्ष मे जन्म होने पर 01 से 07 वे स्थान मे और कृष्ण पक्ष में जन्म होने पर 07 से 12 वे स्थान पर रहती है. दोनों के कैलकुलेशन में चन्द्र और सूर्य का ही अंतर देखा जाता है .
पार्स फॉरचून ऐसे निकालें : स्पष्ट लग्न को स्पष्ट चन्द्र में जोड़े, योगांक में से स्पष्ट सूर्य को घटाने पर भाग्य पार्स फॉरचून स्पष्ट हो जायेगा. सूर्य चंद्र में जितना अंतर होता है उतने ही अंतर पर लग्न से भाग्य बिंदु /पार्स फॉरचून होता है.
उदहारण के लिए मान लीजिये – Lagan degree 2- 27 -18, Moon degree 7 -11 – 24 और Sun degree 8 -26 – 50 है.
यथा : 2- 27 -18 + 7 -11 – 24 = 10 – 8 – 42 – 8 -26 – 50 = 1 -11 -52 भाग्य सहम होगा
अब : 8 -26 – 50 – 7 -11 – 24 = 1 -15 -26 सूर्य चंद्र मे अंतर।
अब : 2- 27 -18 – 1 -11 -52 = 1 -15 -26 भाग्य सहम की लग्न से दूरी।
भाग्य /पार्स फार्च्यून स्पष्ट :
जन्म समय दिन अथवा रात्रि का होने पर भाग्य सहम/पार्स फार्च्यून की निम्न सूत्र अनुसार गणना करते हैं.
– जन्म समय दिन मे होने पर : भाग्य सहम/पार्स फार्च्यून = Lagan degree +Moon degree -Sun degree
– जन्म समय रात्रि मे होने पर : भाग्य सहम/पार्स फार्च्यून =Lagan degree +Sun Degree -Moon Degree
Example : Lagan 5 – 20, Moon 0 – 4, Sun 10 – 17 . Birth time night
लग्न +सूर्य : lagan 5 – 20 + Sun 10 – 17 = 16 – 07 यह 12 राशि से अधिक है.
अतः 12 घटाया तो शेष (16 – 07 – 12 = 4 – 7) 4 – 7 शेष आया.
अब इसे चन्द्र के अंश से घटा दिया : 4 – 7 – Moon degree 0 – 4 = 4 – 3 अर्थात भाग्य सहम/पार्स फॉरचून सिंह में 3 अंश होगी.
पार्स फार्च्यून जीवन के स्वास्थ्य, संपत्ति, प्रतिष्ठा के स्तर की प्रतीक है. शुभ भाग्य सहम/पार्स ( fortune) फॉरचून का अर्थ भाग्यशाली होना, संतोषजनक सुखमय जीवन, स्वस्थ शरीर, धन धन्य, स्त्री, सम्मान, मान्यता, अच्छा व्यापार इत्यादि है.
यहाँ से अपना पार्स फॉरचून निकालें ..

