वैदिक ज्योतिष के सभी प्राचीन ज्योतिष शास्त्र के ग्रन्थों में महर्षि पराशर के सिद्धांतों की ही प्रमाणिकता है। उनके मौलिक ज्योतिषीय सिद्धांतों पर लिखित ‘उडुदाय प्रदीप’ या ‘लघु पराशरी’ का नाम विख्यात है। प्रस्तुत किताब ‘उडुदाय प्रदीप’ की व्याख्या का एक छोटा प्रयास है। किताब को लेखक ने बड़ी शिद्दत से लिखा है। इसकी भूमिका और पहले अध्याय में इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी संक्षिप्त में चर्चा की गई है। इसके गम्भीर सिद्दांतों की सत्यता में ज्योतिष के विद्द्वानों को कोई संदेह नहीं है। यह फलित ज्योतिष का एकमात्र ग्रन्थ है जिसके सिद्धांत सर्वमान्य हैं। भारतीय फलित ज्योतिष के सभी प्राचीन ग्रन्थ श्लोकबद्ध हैं, फलत: वे सामान्य व्यक्ति के लिए बोधगम्य नहीं है। प्रस्तुत किताब में लघु पाराशरी के श्लोकों की विस्तार से व्याख्या की गई है और जहाँ आवश्यकता पड़ी है वहां उदाहरण के रूप में कुछ जातकों की जन्म कुंडलियों को भी प्रकाशित किया गया है।
ज्योतिषाचार्य राजेश शुक्ला “गर्ग ” की पराशर के सूत्रों की व्याख्या ज्योतिष में रूचि रखने वाले पाठकों और ज्योतिषियों के लिए निःसंदेह लाभप्रद होगी।