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इस पृथ्वी लोक और पितृलोक के लिए चन्द्रमा को ही सबसे प्रमुख ग्रह माना गया है। यजुर्वेद में चन्द्रमा को नक्षत्रों का स्वामी कहा गया है ‘स चन्द्रो नक्षत्राणाममधिपति:”। पृथ्वी लोक में मनुष्य के मन, मातृ, स्त्री, सुख, औषधि, अन्न इत्यादि का कारक होने से चन्द्रमा सूर्य की तरह ही जीवन के लिए जरूरी है। चन्द्रमा की उत्पत्ति अमृत से कही गई है इसलिए अमृत की तरह ही यह सभी ग्रहों में बलवान कहा गया है।
चन्द्रमा ही जातक के कुंडली में बने सभी छोटे बड़े राजयोगो का भोग कराता है। महर्षि वशिष्ठ के अनुसार – हिमकरविर्याद्विर्यं संश्रित्यैव ग्राहश्च साध्वसाधुफलं । ददतिन्द्रियाणि मनसा साहितानि यथा स्वकार्यद्क्षाणि।। चन्द्रमा से बल प्राप्त करके सभी ग्रह शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं। जैसे अपने अपने कार्यों में दक्ष इन्द्रियां मन के साथ युक्त होकर अपने अपने धर्म पर कार्यशील होती हैं। यदि चन्द्रमा पाप ग्रहों से पीड़ित हो जाये या चन्द्र नक्षत्र पाप पीड़ित हो जाए तो महान दुःख का कारण बन जाता है। चन्द्रमा स्त्रियों का सबसे प्रमुख ग्रह है इसलिए यह रानी है। सूर्य स्वरूप परमात्मा शिव पिता हैं, राजा हैं और चन्द्रमा स्वरूपा गौरी अर्थात पार्वती माता हैं, रानी हैं।

शिव: शिवा गुहो विष्णुर्विरञ्चि: शक्र: सूर्यजौ । क्रमाद्विकर्तनादोनां पतयो मुनिभि: स्मृता:।। सूर्य का देवता (पति) शिव, चन्द्रमा का गौरी, मंगल का स्वामी कार्तिकेय, बुध के विष्णु, गुरु के ब्रह्मा, शुक्र के इंद्र, शनि का धर्मराज (यम) हैं। चन्द्रमा से स्त्रियों का इतना गहरा सम्बन्ध है कि यह उनकी सभी गतिविधियों के केंन्द्र में स्थित है। वेदों का एक स्वर में कहना है कि यह संसार सूर्य-सोममय है ‘सूर्य-सोमात्मकं जगत’, पुरुष सूर्यात्मक हैं, स्त्रियाँ सोमात्मिका हैं। जिस तरह सूर्य से बारह अंश आगे आने पर प्रतिपदा का चाँद उदित होता है उसी प्रकार 12 वर्ष पहुंचते पहुंचते ही उनका रजोधर्म प्रारम्भ हो जाता है अर्थात उनका स्त्री के रूप में उदय होता है। ज्योतिष में स्त्री के प्रथम मासिक धर्म के अनुसार भी नक्षत्रानुसार फलादेश किये गये हैं। चन्द्रमा स्त्री के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसका इस बात से अनुमान लगा सकते हैं कि यदि चन्द्रमा अस्तगत हो और उस समय कन्या का विवाह हो तो कन्या मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। वैदिक ज्योतिष का सबसे प्रमुख ग्रह चन्द्रमा है, यदि सूर्य की तरह चन्द्रमा भी बलवान हो तो सभी ग्रह बलवान हो जाते हैं। सूर्य आत्म कारक है तो चन्द्रमा मन कारक होकर उसके बंधन और मुक्ति का कारक है। पुरुष के लिए भी स्त्री उसके बंधन और मोक्ष का कारण होती है।

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