पाश्चत्य ज्योतिष भारतीय ज्योतिष से बहुत अलग है. यहाँ सायन सिस्टम को लिया गया है और नक्षत्र सिस्टम को मानते ही नही हैं. इनके फलादेश का मुख्य आधार दृष्टि aspects है. भारतीय ग्रह दृष्टि और पाश्चात्य ग्रह दृष्टि में कोई विशेष अंतर नहीं है लेकिन फिर भी बहुत बड़ा अंतर है. भारतीय पद्धति में गौड़ दृष्टियों डेसाइल, डेसाइल इत्यादि को महत्व नहीं देते. यदपि कि ज्योतिष में प्रमुख दृष्टि के बाद पाद दृष्टियों ( एक पाद, दो पाद, त्रिपाद दृष्टि ) का भी वर्णन है. बस अंतर इतना है यहाँ अंश पर ध्यान नहीं देते जैसे शनि वृश्चिक में हो और शुक्र मकर में तो तीसरी दृष्टि से देखता है. मान लो शनि 5 डिग्री वृश्चिक में है और शुक्र 28 डिग्री मकर में है तब पश्चिम में इसे स्क्वायर रेंज में मानेंगे और यहाँ शनि की तीसरी दृष्टि शुरू से अंत तक वैसे ही बनी रहेगी. सेक्सटाईल हो तब भी शनि की दृष्टि शुभ नहीं मानी जाती इसलिए पाप ग्रह शनि की तीनो दृष्टि हानिकारक ही है. पाश्चात्य ज्योतिष में ग्रह और भाव दोनों का विचार किया जाता है लेकिन इसमे वैदिक ज्योतिष के राशि 30 अंश पर गणना नही करते बल्कि अंशात्मक- कोणत्मक दूरी के अनुसार दृष्टियों का ग्रहण करते हैं. यहाँ प्रमुख दृष्टियां कुछ इस तरह हैं –
ट्राईन(trine) : जब दो ग्रह एक दूसरे से १२० अंश की दूरी पर रहते हैं तो इसे ट्राईन आस्पेक्ट कहते हैं। यह गुरु की पंचम दृष्टि की तरह की ही दृष्टि है। भारतीय ज्योतिष में 240 डिग्री आस्पेक्ट को नवम दृष्टि कहा जाता है. ट्राईन को पश्चिम में सबसे शुभ,लाभकारी और उन्नति प्रदान करने वाली दृष्टि मानी जाती है।
सेक्सटाइल(sextile) : जब दो ग्रह एक दूसरे से ६० अंश की दूरी पर होते हैं तो उसे sextile कहते हैं। यह भी एक शुभ दृष्टि है। यह शनि की तीसरी दृष्टि है परन्तु शुभ नहीं है।
सेमी-सेक्सटाइल (semi-sextile): जब दो ग्रह एक दूसरे से ३० अंश की दूरी पर होते हैं अर्थात एक राशि दूर तो उसे semi-sextile कहते हैं। यह भी एक शुभ दृष्टि है लेकिन कमजोर होती है।
अपोजीशन (opposition) : जब दो गृह १८० अंश की दूरी अर्थात छह राशि दूर तो यह दृष्टि होती है जो हानिकारक मानी जाती है। यह सप्तम दृष्टि है, ग्रह आमने सामने होंगे और विरोधी होकर अशुभ फल प्रकट करेंगे । लेकिन भारतीय ज्योतिष में इसे समसप्तक माना गया है.
स्क्वायर (squire ): जब दो ग्रह ९० अंश की दूरी पर हों तो यह स्क्वायर दृष्टि कही गई है, यह सबसे अशुभ दृष्टि है ।
सेमी स्क्वायर (squire ): जब दो ग्रहों की अंशात्मक दुरी 45 अंश हो तब यह दृष्टि होती है. यह भी निष्कृष्ट दृष्टि है.
अनेक गौड़ और लघु दृष्टियाँ भी होती है जैसे सेमी डेसाइल, डेसाइल, क्विटाईल इत्यादि

